Wednesday, October 26, 2016

प्रदूषण

जंगली सिर्फ़ जंगलो में पनपते हैं, शहरो में आवाम मौक़ा ही नहीं देती।। 

Tuesday, October 11, 2016

रावण

ये दो नाम रावण और राम
किसने समझा सीता, क्या हुआ तेरा अंजाम?

हमारे अंदर आज भी ये तीनों ज़िंदा है

अहंकार- रावण जैसे, हमें गुमराह करता रहता है
मर्यादा- राम की तरह बस नाम की ही रह गयी
ख़ुशियाँ- कभी सीता सी होती थी- जो अब धरती में दफ़्न हैं

ईद- दिवाली- दशहरा मनाते है
शौक़ से हम रावण के पुतले को जलते हैं
क्या हम सचमे ख़ुद से बेख़बर हैं?

यह दो नाम रावण और राम
हम सबका भी है वही एक अंजाम
तो क्यों ना शस्त्र उठाए हम
अहंकार को भस्म करें

मर्यादा- ख़ुशियों के आड़े ना आए
ऐसा कोई बंदो-बस्त करें!!

Wednesday, October 5, 2016

बचके रहें!!

बचके रहें?
किस बात से?

आपकी अदाओं से?
मुस्कुराहट या बातों से?
सपनो में की मुलाक़ातों से?
या साथ गुज़री रातों से?

हम तो जीने का शौक़ रखते हैं,
मुस्कुराते हुए दिल पर,
उनके बरसाए तीरों का गुलदस्ता बना लेते हैं
उनको लगता है चोट सिर्फ़ हमें लगी होगी,
हम तो उनको हुए दर्द की फ़िक्र करते हैं।।।

ना बरसने पर बेचैन तो बादल होते हैं
हम तो सूखी धरती सा सब्र करतेहैं

Saturday, September 17, 2016

अफ़साने

लमहों का क्या है
लम्हे तो गुज़र जाएँगे
माना कुछ दर्द देंगे
कुछ साथ मुस्कुराएँगे

इन पलों को साथ जोड़ने की ख़ातिर
हम साँसों से जुड़ जाएँगे
यह गुज़रे हुए वक़्त के अफ़साने
ज़िंदगी कह लाएँगे

Tuesday, August 23, 2016

क्या पाया?

ज़िंदगी भर उनका इंतज़ार किया
उनकी चाहत में मोहब्बत से प्यार किया
कुछ वक़्त लगा उनसे मुलाक़ात होने में
अक्सर वक़्त बनकर उनका इंतज़ार किया

अफ़सोस के उस घड़ी रोका नहीं
जब दूर चलदिए वो लहरों संग
मेरी गहरी आँखों को भुलाकर
टहलने लगे वो साहिलो पर

ख़ुशी-ख़ुद ख़ुशी हो जाती
संभल गए हम खदको समझाकर
इस social media के जंगल में
मूनफ़रीद ख़ुद जैसे पाकर

अब तो बेगानो की महफ़िलों में
हम भी सुकून ढूँढ लेते हैं
और उनकी ग्रोह में गुज़रे पालो को
इंतज़ार समझ लेते हैं 

Saturday, August 13, 2016

Happy Indipendence Day

This morning at Juhu beach.. A cop walked up to me to share a very important information "you cannot take the cycle on to the beach" (well 1st I know it and 2nd I can't, it's a road bike) however I asked him "do you have a cycle stand at the beach?" Him, "no' me, "ok, may I tie it with the light pole by the road!!" him, (very sweetly) "Na re baba" .. But he let me stay close to the beach and watch the waves.. There are a lot of us who #cycle in #bombay #mumbai l.. It would be very helpful if #bmc could provide for cycle stands at #carterroad #bandstand #worliseaface #starbucks it will only encourage healthier lifestyle and cleaner environment.. Oh yes 70 years since... Happy Independence Day my fellow citizens 

Sunday, July 31, 2016

अन्दाज़-ए-ज़िंदगी

मैं जान गया हूँ के मंज़िल क़रीब है,
कोशिश करने वालों के ही-होते नसीब हैं,
कुछ भी ना था- तब नाकाम कोशिशों ने सीखने का होसला दिया,
बची ख़ुशिया- शकायतो की हद में- क़ैद मुस्कराहट का दरिया मिला।।

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Saturday, July 30, 2016

बरसात

इन बरसती बूँदों ने कितनी कहानियाँ लिखडाली!!
कभी आसुंओं को ख़ुदमे छुपा लिया,
कभी छुपे अरमानो को हवा दी।

रात में अक्सर यह बूँदे जब-जब तूफ़ान सी बरसती हैं,
बिजली इनसे मिलने को लापरवाह मचलतीं हैं,
तब-तब कोई दिल तड़पता है किसी से मिलन की चाह लिए,
कोई तनहा रह जाता है अंतर ध्वंद्व कि आह लिये।

इस सावन में भीगने को क्यों मैं मचल जाता हूँ,
डूबकर इन बूँदों में अक्सर ख़ुद को पाता हूँ


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Friday, July 22, 2016

आशिक़


लिख बहुत सकता हूँ लेकिन
क्या लिखूँ मालूम नहीं
जाना कहाँ है- यह पता है
ख़ुद का पता मालूम नहीं

इश्क़ बहुत हैं- क्यों और कबसे
इन सवालों का जवाब मालूम नहीं
उनकी रुकसत- मेरी मुहब्बत
मेहरबान क्यों मुक़द्दर? मालूम नहीं।।


Wednesday, July 13, 2016

हक़ीक़त

ये समाज से अलग ज़रूर रखे गए है,
पर हर कोई गुनाहगार नहीं,
ग़लती इंसानी फ़ितरत है,
हर बंदा ईमानदार नहीं।
किताबों को घिलाफ़ो से परखना छोड़िए हुज़ूर,
हर सफ़ेद रोशनी- महताब नहीं।।



Tuesday, July 12, 2016

दिल

बात दिल की है, मुलाक़ात इत्तेफ़कन ही हुई थीं, दिल लगाने का कोई इरादा ना था, कब ख़याल मिले? कब इश्क़ हुआ? अब ये याद नहीं। भटका करता था जो आवारा गलियों में, दिल- अब आज़ाद नहीं।। 

Sunday, July 10, 2016

खोज

सबसे पहले हुनर को जाना
फिर मौक़ा परस्त हुए
सोच बैठे हम तो मशहूर ख़ुमारी है
अपनी हक़ीक़त क़ाबिल-ए-नामवारी हैं

जब निकल पड़े ज़िंदगी के रास्ते पर
एक-एक कर सब खोता रहा
पहले दौलत गयी- बची कूँची शोहरत गयी
एक पल लगा दिल के लूटने को
संभल पाते तब तक मोहब्बत गयी

रु-ब-रु हुए तब असली दौलत से
साँसों से होती हुई मोहब्बत से
ग़ौर से देखा क़ुदरत की कारीगरी को
जंगल पहाड़ समंदर नदी को

क़ुदरत की सबसे बड़ी तकलीक को जाना
अपने ही जैसे इंसान से मुलाक़ात हुई
कुछ अपनी कही- कुछ उनकी सुनी
पहली बार मेरी- हस्ती आबाद हुईं

Celebrity- नामर्द
Creation-तकलीक

Friday, July 8, 2016

तुल्य

जिस शक़्स के मायने मुन्फ़रीद हों
उसको किसी और से क्या तोलूँ
इश्क़ करता हूँ आपसे
इससे आगे और क्या बोलूँ?

Friday, July 1, 2016

मजबूरी

मैं अक्सर मुश्किल घड़ी को 
मजबूरी का नाम दे दिया करता था।।
मुसीबत को सामने देख
मुँह फेर लिया करता था।।

कुछ रोज़ से जुनूनियत सवार है
ज़िंदगी से एक नयी मुलाक़ात है
मैदान में असल में अब उतारा हूँ
इरादे ईमानदार है

Friday, June 24, 2016

इंतज़ार

मैं आज अजब सा हूँ
कुछ कहना चाहता हूँ पर लफ़्ज़ नहीं मिल रहे
कुछ करना है मगर सोचता हूँ क्या और कैसे
मैं चल रहा हूँ- वक़्त टहरा हुआ है
कोई तो ज़ख़्म दिल का अचानक और भी गहरा हुआ है

मैं ख़ुश हूँ- जी हाँ मुझे ख़ुश होना चाहिए
फिर गुम-सम क्यों हूँ?
पूछने लगता हु हालात से
मैं मंज़िल से इतना दूर क्यों हूँ?

कुछ तो रूख हवा का है- जो रुका हुआ है
तूफ़ान से पहले ख़ामोशी का दौर चल रहा है

इंतज़ार है
इंतज़ार है अभ इस बारिश का
मेरे हुनर की नुमाइश का
ख़याल रख लेना वक़्त अब तू
मेरी ली हर आज़माइश का

Tuesday, June 21, 2016

सवाल

बादल तू गरजता क्यों है
पानी तू बरसता क्यों है
उनसे दूर जाने पर
मन मुलाक़ात को तरसता क्यों है?

Monday, June 20, 2016

आँख मिचोली


बूँदे क्यों प्यास बढ़ाती हैं?
तेरी याद गहरी होती जाती है
इंतज़ार रहता है इसे तेरी रुकसत का
तेरे जाते ही बरसात हो जाती है

Saturday, June 18, 2016

दीवानगी या हक़ीक़त

तस्वीरें बहुत हैं-बातें कई सारी हैं
कुछ उनसे सननी है-कुछ उनको बतानी है
महल के हर कमरे में दफ़न-मुन्फ़रीद कहानी है
वो मोहब्बत में मश्रूफ-मोहब्बत उनकी दीवानी हैं

Friday, June 17, 2016

आदाब

अनजान शहर- कड़कती धूप
पसीने से तर में प्यासा भटक रहा था
शरबत भी मिला- महफ़िल भी जमी
इन किताबों के हर पन्ने में बीता लम्हा धड़क रहा था


Monday, June 13, 2016

Wi-fi का दौर


बातें सभी जाननी हैं
पर किसी का सब्र-ए-अहतराम नहीं होता
4g का वक़्त चल रहा है
पर free browsing का इंतज़ाम नहीं होता

Google पर पूरा भरोसा है
अपनों पर ऐतबार नहीं होता?
वैसे इस दौर में लोगों को बनाना
आसान नहीं होता

farm ville तो हैं handy
पर गुल्शनो का दीदार नहीं होता
मेरी लिखी चिट्ठी का उनसे
इंतज़ार नहीं होता

Saturday, June 11, 2016

Magik की आत्म कथा

एक आदमी बड़े पेट का
हाथ में छड़ी size सेठ का
मैं छोटा सा भूरे रंग का
अपना रिश्ता love-hate का

दिन को मोटा अकेला रह ना पाता
मैं- अपने मुँह से कुछ कह ना पाता
रात को थक कर जब वो सो जाता
उसको मैं चाट-चाटकर सुलाता

पापा शाम को जब भी घर लोटकर आते है
मोटा अफ़सोस जताता है
हमारे बीच हुई बात-चीत का
अपनी ज़ुबान में अर्ज़ फ़रमाता है

खाना जब भी खिलता है
वो मेरी माँ बन जाता है
ख़ुद की हर बड़ती मुश्किल का
मुझपर blame डालता जाता है

दोपहर के खाने के बाद
वो पहाड़ बन जाता
उसके खर-राटों के शोर में
दिन मेरा कट जाता

एक आदमी बड़े पेट का
हाथ में छड़ी size सेठ का
मैं छोटा सा भूरे रंग का
अपना रिश्ता love-hate का

अपना रिश्ता love-hate का

Thursday, June 9, 2016

सितारों की महफ़िल

अदाओं की आड़ में दिल तोड़ने की सादिश
मोहब्बत के नाम पर बेवफ़ाई की नुमाइश
मैंने बेवफ़ाई को काफ़ी क़रीब से देखा है

इनकी आँखों में जैसे क़ुदरत का नूर बसा हो
इनकी ख़ूबसूरती में जाने कोई कोहिनूर चुपा हो
ख़ूबसूरत चाहरों को भी बहुत क़रीब से देखा है

जिस राह पर हम चल पड़े हैं
इस राह पर इनके मेले लगे हैं
राहगीर को अक्सर गिरते-सम्भालते
इन राहों को महकाशी में देखा है

Wednesday, June 8, 2016

मेहमान खाना

महफ़ूज़ रखीएगा धड़कनो के बीच
साँसों के आने-जाने का भी यही रास्ता मुहैया है 

Tuesday, June 7, 2016

वजूद

हम लोग काफ़ी अजीब हैं
पूरी ज़िंदगी- ता उम्र, किसी सपने को अपना बनाने के पीछे दौड़ते हैं
और फिर जब कोई अपना होने लगता है
तो सवाल करने लगते हैं

क्या यही वो अपना है? 
या ज़िंदगी खुली आँखों से दिखा रही कोई सपना है?

गुत्थियों में गुत्थियाँ- उलझनो में उलझने 
हम क्यों इस दल-दल में धसते जाते हैं
अक्सर चाहत को पाने की चाह में
सपनों से बेवफ़ाई करते जाते हैं 

Monday, June 6, 2016

पहली बारिश

बरसात और अश्क़ दोनो कमाल है
फ़ितरत में गीला पन
यह जज़्बात को देते पहचान है

दूँरिया शहरो की
भूरे बादलों से घिरा आसमान है
तेरे दीदार का इंतज़ार
मेरी महकशी का इंतज़ाम है

Saturday, June 4, 2016

दो पहलू

एक दीवार- बहुत लम्बी सी
कुछ इस तरफ़- कुछ उस तरफ़

ख़ूबसूरत पहनावे, महँगे पत्थर
झूठ से लीपे चहरे, लापता घर

फटे कपड़े, पत्थरों के बिस्तर
उम्मीद से भरी आँखें, रहने को खंडर

एक दीवार- बहुत लम्बी सी
कुछ इस तरफ़- कुछ उस तरफ़

निशा सी गहराई आँखे
आवाज़ में समंदर का स्वर

छवि उस हसीन चेहरे की
धोखा खाई मासूम नज़र

एक दीवार- बहुत लम्बी सी
कुछ इस तरफ़- कुछ उस तरफ़

बाँहों में ज़िंदगी का सुकून
होंठ बड़ा देते हैं, धड़कनो का जुनून

छूटा हुए दामन
निशा-बज़ सावन

अपनी कहानी बोहात दिलचस्प
कुछ इस तरफ़- कुछ उस तरफ़

निशा-बज़ means dry

एक पल

पहली मुलाक़ात बहुत ही कमाल थी
दिलों के मिलने पर मुलाक़ातें होने लगी बार बार थी

एक दौर फिर ऐसा आया के वो हमारे वजूद हो गए
और अब फ़र्क़ तक नहीं पड़ता जब के, वो कही है खो गए

एक वक़्त था ढलती शामों का
Airport पर उनके आने का
वो लम्बी ट्रिप्स पर जाने का
साथ साथ खाना बनाने का

उनके चहरे को देखा करते थे
नज़रों में खोया करते थे
उनकी बाहों में रहने को
झूठ मूट ही रोया करते थे

और अभ घुटन सी होती है
उनकी आवाज़ में भी, सुन लू अपना नाम अगर
पता नहीं कैसे आ पहूंचे
वो और हम ऐसी डगर

अक्सर बैठें सोचता हूँ
तनहा अकेला जब होता हूँ
पल भर की तो बात थी
ग़ज़ब था बिछड़ना- उससे ग़ज़ब मुलाक़ात थी 

Thursday, June 2, 2016

VoiceNotes


तहा उम्र आपका इंतज़ार किया
कभी इश्क़ कीय- कभी ऐतबार किया
आपको ढूँढ पाने की उम्मीद में
जाने, कितनो से हमने प्यार कीया 

हर शक्ल में आपको ढूँड़ा करते
हर दिल से दिल लगा लेते थे 
आपसे मुलाक़ात की आरज़ू में
हम जज़्बात को दाव पर लगा देते थे

आज आप रूबरू हो- ज़बान नम हैं
बेफ़िज़ूल गूँजने वाला- वो तन्हाई का शोर कम हैं

क्या ज़रूरी है लफ़्ज-ए-बायाँ हो?
हर बार कोई नयी इंतहा हों?
बीती कहानीया-चुटकुलो सी लगें 
कुछ ऐसी अपनी दास्ताँ हो,
कुछ ऐसी अपनी दास्ताँ हो।।



Wednesday, June 1, 2016

First touch


सूरज अब लग-भग डूब चुका था
कुछ सात-साड़े सात बजे होंगे
वो मेरी गोद में बैठी लहरों को देख रही थी
उसने लहरें पहले कभी नहीं देखी थी

शायद यह पहली बार है
के वो समन्दर के इतने क़रीब आइ
उसने पहले लहरों को जानने की कोशिश की
फिर उसके एहसास की ओर क़दम बढ़ाए

कुछ वक़्त लगा समझाने में
उस एहसास को वजिह कर पाने में
उनको लहरों से मिलाने में
उस बहर में खुद् क़ो पाने में

वजिह- define
बहर- ocean

Tuesday, May 31, 2016

आवाज़ें

बोहत सारी आवाज़ें अचानक मेरे ज़हन में ऊधम मचा रही है
एक अरसा हुआ अब सबर नहीं होता
कुछ अपना सा लगने लगता है पर
मुझे अपनाने से कुछ लम्हे पहले वो कोसो दूर हो जाता है

ज़िंदगी मज़ेदार है या मुझसे मज़ाक़ कर रही है?
दिल जो अब तक मायूस था
इस लम्हे परेशान है
कल तक ख़ाली कोठरी था
आज नजाने कितने इसके मेहमान है

यह तोलने लगा है
पहले बेख़ौफ़ तस्लीम कर लेता था
अब झूठ बोलने लगा है

इन उलझी गुत्थियों के जवाब कहाँ मैं ढूँढू?
सच की आदत अभ छूट चुकि है
झूठ से कोई वास्ता नहीं
मंज़िल साफ़ दिखाई दे रही है
उलझने कई है रास्ता नहीं ।।

Monday, May 30, 2016

Shakespeare eats वडा-पाव

पिछली बार जब आपसे रूबरू हुए थे
उम्र कुछ चौदह- पंद्रह थी

साल- दो साल हुए हिंदी और उर्दू से वास्ता जोड़ लिया
English कभी-क़बार पढ़ लिया करते
पर जनाब आपके लिखे नाटक पढ़े एक अरसा बीत गया

आज कैसे हमें याद फ़रमा लिया?
Thee- thou का ख़याल आते ही मन घबरा लिया
My heart for once proposed
Thou disappear in thin air

फ़ैज़ का हाथ पकड़े मियाँ
William Shakespeare तो है ग़ैर
Much ado about nothing
भला why do I care

शहर बम्बई-नाटक really old
तजस्सुस कर रहा हूँ - for the evening to unfold
पुरानी कहानी - अजब अन्दाज़
I bid thee, welcome मेहरबान- कदरदान

Sunday, May 29, 2016

आज दिन मुबारक हैं

आज कल ज़्यादातर मैं अपने हर जानकार को मुबारक मौक़ों पर बधाई दे पाता हूँ
Facebook की मेहरबानी ही समझलें
आज दोपहर को भी कुछ ऐसा ही हुआ
बस फ़र्क़ ये था की जिस दोस्त का जनम दिन है उसने एक फ़रमाइश कर दीं
जिसे हमने निम्न लिखित कविता में बयान करने की कोशिश की हैं

याद बोहात आती है वो शामें जो साथ बितायी थी
बस यादें ही आती है- आप नहीं आती
पर उस बात का ज़िक्र फिर कभी
आज दिन मुबारक है

इझ्हार किया करते थे हाल दिलों के
कभी कतराए नहीं ना बीच हमारे कोई रीत रही
मुलाक़ात छोड़े-एक अरसा हुआ बात हुए
पर उस बात का ज़िक्र फिर कभी
आज दिन मुबारक है

भुला दिया जब याद आया के आप ग़ालीफ दिमाग़ है
हमें तक याद ना रख पाएँ आप!!
यह आपकी ख़ूबी है या आदत है?
पर उस बात का ज़िक्र फिर कभी
आज दिन मुबारक है

Saturday, May 28, 2016

आशिक़ी

ज़रा थामिएगा अपनी रफ़्तार को 
आप भी कमाल कर रहे है 
कल तक अकेले छोड़ रखा था
अब introductions घमासान कर रहे है 

माना दिल फेंक है 
थोड़े बेशर्म किसम के है 
दिल हथेली पर लिए घूमते है
पर वो हम ही है जो दिल के टूटने पर- ग़म को बाँहों में लिए झूमते है

इस बार इरादा आशिक़ी का है
मशवरा है के दिल्लगि से ख़बरदार रहें 
थामेंगे दामन वही जो ऐतबार करें
अगले हसीन चेहरे का दिल क्यों इंतज़ार करें

Thursday, May 26, 2016

करेंट affair

Aaj ka waqt kazardaan hai to...
Stories from history 
Future ki Mistry...!!!

Dil mein Kai Sawaal hai
Bhool chuke poochnaa apno ke haal chaal hai
High rise buildingey Lagti Kamaal hai,
Public servant in reality malamaal hai

Common man ka haal Behaal hai
Road tax ka allocation sabse gehra sawaal hai
Apno Ko 'No thank you '
Anjaano ki friends request ka hota Facebook par isteqbaal hai

Khaane ko do waqt ka khana sure nahi
Par sabse bada mudda kashmeer aur taqleef Pakistan hai

Sports ke naam par khiladiyon par daav 
Entertain kar rahi sonny Leone hai

Sawaal Bas itna hai tujhse mere dost,
Kya tu waqai zindagi se anjaan hai?

Kamzoor Mustaqbil ka chehra
Kyon bangaya teri pehchaan hai??