Saturday, May 28, 2016

आशिक़ी

ज़रा थामिएगा अपनी रफ़्तार को 
आप भी कमाल कर रहे है 
कल तक अकेले छोड़ रखा था
अब introductions घमासान कर रहे है 

माना दिल फेंक है 
थोड़े बेशर्म किसम के है 
दिल हथेली पर लिए घूमते है
पर वो हम ही है जो दिल के टूटने पर- ग़म को बाँहों में लिए झूमते है

इस बार इरादा आशिक़ी का है
मशवरा है के दिल्लगि से ख़बरदार रहें 
थामेंगे दामन वही जो ऐतबार करें
अगले हसीन चेहरे का दिल क्यों इंतज़ार करें

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