Wednesday, October 5, 2016

बचके रहें!!

बचके रहें?
किस बात से?

आपकी अदाओं से?
मुस्कुराहट या बातों से?
सपनो में की मुलाक़ातों से?
या साथ गुज़री रातों से?

हम तो जीने का शौक़ रखते हैं,
मुस्कुराते हुए दिल पर,
उनके बरसाए तीरों का गुलदस्ता बना लेते हैं
उनको लगता है चोट सिर्फ़ हमें लगी होगी,
हम तो उनको हुए दर्द की फ़िक्र करते हैं।।।

ना बरसने पर बेचैन तो बादल होते हैं
हम तो सूखी धरती सा सब्र करतेहैं

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