Saturday, June 4, 2016

दो पहलू

एक दीवार- बहुत लम्बी सी
कुछ इस तरफ़- कुछ उस तरफ़

ख़ूबसूरत पहनावे, महँगे पत्थर
झूठ से लीपे चहरे, लापता घर

फटे कपड़े, पत्थरों के बिस्तर
उम्मीद से भरी आँखें, रहने को खंडर

एक दीवार- बहुत लम्बी सी
कुछ इस तरफ़- कुछ उस तरफ़

निशा सी गहराई आँखे
आवाज़ में समंदर का स्वर

छवि उस हसीन चेहरे की
धोखा खाई मासूम नज़र

एक दीवार- बहुत लम्बी सी
कुछ इस तरफ़- कुछ उस तरफ़

बाँहों में ज़िंदगी का सुकून
होंठ बड़ा देते हैं, धड़कनो का जुनून

छूटा हुए दामन
निशा-बज़ सावन

अपनी कहानी बोहात दिलचस्प
कुछ इस तरफ़- कुछ उस तरफ़

निशा-बज़ means dry

No comments:

Post a Comment