हमारे देश में जब दही ख़त्म हो जाता है
तो बाज़ार ना जाकर अक्सर पड़ोसी का दरवाज़ा खट-खटाया जाता है
हम शायरी में मोसिकी करने निकले पर पता चला के यह तो किसी और की हो चुकी है
दिल टूटा, Blog लिखने का इरादा छूटा, हाए इंटर्नेट तूने पहले ही मेरे ख़याल को लूटा।।
फिर क्या था- बस हमने भी पड़ोस का दरवाज़ा खट-खटा दिया।।
A place where emotions meet expressions..
Monday, June 6, 2016
पहली बारिश
बरसात और अश्क़ दोनो कमाल है
फ़ितरत में गीला पन
यह जज़्बात को देते पहचान है
दूँरिया शहरो की
भूरे बादलों से घिरा आसमान है
तेरे दीदार का इंतज़ार
मेरी महकशी का इंतज़ाम है
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