हमारे देश में जब दही ख़त्म हो जाता है
तो बाज़ार ना जाकर अक्सर पड़ोसी का दरवाज़ा खट-खटाया जाता है
हम शायरी में मोसिकी करने निकले पर पता चला के यह तो किसी और की हो चुकी है
दिल टूटा, Blog लिखने का इरादा छूटा, हाए इंटर्नेट तूने पहले ही मेरे ख़याल को लूटा।।
फिर क्या था- बस हमने भी पड़ोस का दरवाज़ा खट-खटा दिया।।
A place where emotions meet expressions..
Wednesday, June 8, 2016
मेहमान खाना
महफ़ूज़ रखीएगा धड़कनो के बीच
साँसों के आने-जाने का भी यही रास्ता मुहैया है
No comments:
Post a Comment