Saturday, January 7, 2017

कहानी

वक़्त की ललकार हुई
ज़िंदगी से नई मुलाक़ात हुई
बेक़रार रोशनी के ख़ातिर 
इतनी गहरी जो रात हुई


Wednesday, October 26, 2016

प्रदूषण

जंगली सिर्फ़ जंगलो में पनपते हैं, शहरो में आवाम मौक़ा ही नहीं देती।। 

Tuesday, October 11, 2016

रावण

ये दो नाम रावण और राम
किसने समझा सीता, क्या हुआ तेरा अंजाम?

हमारे अंदर आज भी ये तीनों ज़िंदा है

अहंकार- रावण जैसे, हमें गुमराह करता रहता है
मर्यादा- राम की तरह बस नाम की ही रह गयी
ख़ुशियाँ- कभी सीता सी होती थी- जो अब धरती में दफ़्न हैं

ईद- दिवाली- दशहरा मनाते है
शौक़ से हम रावण के पुतले को जलते हैं
क्या हम सचमे ख़ुद से बेख़बर हैं?

यह दो नाम रावण और राम
हम सबका भी है वही एक अंजाम
तो क्यों ना शस्त्र उठाए हम
अहंकार को भस्म करें

मर्यादा- ख़ुशियों के आड़े ना आए
ऐसा कोई बंदो-बस्त करें!!

Wednesday, October 5, 2016

बचके रहें!!

बचके रहें?
किस बात से?

आपकी अदाओं से?
मुस्कुराहट या बातों से?
सपनो में की मुलाक़ातों से?
या साथ गुज़री रातों से?

हम तो जीने का शौक़ रखते हैं,
मुस्कुराते हुए दिल पर,
उनके बरसाए तीरों का गुलदस्ता बना लेते हैं
उनको लगता है चोट सिर्फ़ हमें लगी होगी,
हम तो उनको हुए दर्द की फ़िक्र करते हैं।।।

ना बरसने पर बेचैन तो बादल होते हैं
हम तो सूखी धरती सा सब्र करतेहैं

Saturday, September 17, 2016

अफ़साने

लमहों का क्या है
लम्हे तो गुज़र जाएँगे
माना कुछ दर्द देंगे
कुछ साथ मुस्कुराएँगे

इन पलों को साथ जोड़ने की ख़ातिर
हम साँसों से जुड़ जाएँगे
यह गुज़रे हुए वक़्त के अफ़साने
ज़िंदगी कह लाएँगे

Tuesday, August 23, 2016

क्या पाया?

ज़िंदगी भर उनका इंतज़ार किया
उनकी चाहत में मोहब्बत से प्यार किया
कुछ वक़्त लगा उनसे मुलाक़ात होने में
अक्सर वक़्त बनकर उनका इंतज़ार किया

अफ़सोस के उस घड़ी रोका नहीं
जब दूर चलदिए वो लहरों संग
मेरी गहरी आँखों को भुलाकर
टहलने लगे वो साहिलो पर

ख़ुशी-ख़ुद ख़ुशी हो जाती
संभल गए हम खदको समझाकर
इस social media के जंगल में
मूनफ़रीद ख़ुद जैसे पाकर

अब तो बेगानो की महफ़िलों में
हम भी सुकून ढूँढ लेते हैं
और उनकी ग्रोह में गुज़रे पालो को
इंतज़ार समझ लेते हैं 

Saturday, August 13, 2016

Happy Indipendence Day

This morning at Juhu beach.. A cop walked up to me to share a very important information "you cannot take the cycle on to the beach" (well 1st I know it and 2nd I can't, it's a road bike) however I asked him "do you have a cycle stand at the beach?" Him, "no' me, "ok, may I tie it with the light pole by the road!!" him, (very sweetly) "Na re baba" .. But he let me stay close to the beach and watch the waves.. There are a lot of us who #cycle in #bombay #mumbai l.. It would be very helpful if #bmc could provide for cycle stands at #carterroad #bandstand #worliseaface #starbucks it will only encourage healthier lifestyle and cleaner environment.. Oh yes 70 years since... Happy Independence Day my fellow citizens