Tuesday, July 12, 2016

दिल

बात दिल की है, मुलाक़ात इत्तेफ़कन ही हुई थीं, दिल लगाने का कोई इरादा ना था, कब ख़याल मिले? कब इश्क़ हुआ? अब ये याद नहीं। भटका करता था जो आवारा गलियों में, दिल- अब आज़ाद नहीं।। 

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